मेरा नाम रेनू भुवानिया है,
मैं एक हाउस वाइफ हूं।
यह कविता सिर्फ मेरी नहीं, उन हर लड़कियों की है जो शादी के सालों बाद भी अपने बचपन को नहीं भूल पाती।
आज भी याद है
शादी के पहले माता-पिता के साथ बिताए हर पल,
आज भी याद है !
बचपन जो उनके साथ बीता,
आज भी याद है!
काश, वह दिन वापस आ जाए,मम्मी का पीछे-पीछे घूमना, वह खाना,
आज भी याद है!
बाहर से आते ही सब कुछ पूछना ,खाना खाया कि नहीं,
आज भी याद है!
बाहर जाते वक्त ,जल्दी आना, ध्यान से जाना,
आज भी याद है!
थकने पर पांव दबाना ,सर पर हाथ रखना, गोद में सुलाना,
आज भी याद है!
पापा का सब कुछ समझाना, यह कह कह कर कि लड़कियां चांद पर चली गई, सब काम करवाना,
आज भी याद है!
वह डांटना और कहना चुप क्यों हो,सही हो तो तर्क करो ,चुप हो यानी गलत हो,
आज भी याद है!
जीवन भर जो उन्होंने किए वह इतने उपकार,
आज भी याद है!
आज भी याद है!!
Renu is a homemaker, creative person, and lifelong learner.